Wednesday, June 25, 2008

पाथेय

अनंत यात्रा के पथ पर,
यह जीवन बढ़ता जाता प्रतिपल ,
राह कभी पथरीली होती,
वक्र कभी और कभी सरल।

जीवन में आवें जब मरुस्थल ,
याद करो तब नंदन-कानन ,
जीवन के सुरभित से वे पल ,
देंगे तुमको तत्क्षण संबल।

अनंत यात्रा के पथ पर ,
यह जीवन बढ़ जायेगा अविचल।
अनंत यात्रा के पथ पर ,
यह जीवन बढ़ता जाता पल-पल।

2 comments:

seema jyotishi said...

Bahut sahi kaha hai.Jeevan ek yatra hi hai.Bus hame chalte rahna hai.Bina dare,Bina thake.Bus chalna hi hamare hath mein hai.

Anonymous said...

Beautiful..I hope to read more of such masterpieces!!

Regards,